पिता की मृत्यु के बाद कानूनी वारिस कौन है: नमस्कार दोस्तों, अगर आप भी यह जानना चाहते है कि पिता की मृत्यु के बाद कानूनी रूप से संपत्ति का वारिस कौन है या कौन होता है? आखिर पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन होता है? तो आपको बता दें वैसे तो पिता परिवार की नींव होता है लेकिन अगर वह नींव हिल जाए अर्थात पिता की मृत्यु हो जाए तो उसके परिवार के सदस्य को संपत्ति का अधिकार मिल जाता है जिसमें क्लास 1 के तहत बेटा, बेटी, माँ और पत्नी आते है।
लेकिन इसके लिए भी एक कानून व्यवस्था है जिसे पूरा करने पर ही आपको संपत्ति मिल सकती है अगर आप इस बारे में डिटेल में जानना चाहते है तो लेख में अंत तक बने रहिये।
अगर पिता की मृत्यु हो जाती है और वह संपत्ति का विभाजन किए बिना ही मर जाता है तो इस चीज को लेके घर के सदस्यों के बीच मदभेद की स्थिति पैदा हो सकती है इस दिशा में बनाये गए कानून यह सुनिश्चित करते है कि संपत्ति गलत हाथो में न जाए और सम्पत्ति का लाभ और अधिकार सही व्यक्ति को सोंपा जाए और परिवार के प्रत्येक सदस्य को संपत्ति बराबर हिस्सों में बांटी जाये।
लेकिन इन सबके बाबजूद भी कई लोगो को कानून नियमों की जानकारी नही होती है तब उनके आगे यह एक बड़ी समस्या के रूप में जन्म लेती है कि आखिर सम्पत्ति का वारिस कौन है और कैसे पिता की मृत्यु के बाद उनके द्वारा छोड़ी गई चीज़ों को आपस में बांटा जा सकता है।
पिता की मृत्यु के बाद कानूनी वारिस कौन है
पिता की मृत्यु के बाद कानूनी वारिस कौन है इस बारे में जानने से पहले आपको ये जानना आवश्यक है की आखिर वसीयत कहते किसे है वसीयत में किन किन चीजों को गिना जाता है देखिये किसी व्यक्ति की वसीयत उसके जीवन काल में अर्जित जमा-पूँजी को कहते है जो वह अपने परिवार के लिए संभालकर रखते है अगर जीते हुए ही पिता अपनी वसीयत को कानूनी ठंग से तियार करके रखे हुए है तो बिना किसी परेशानी के उसकी मृत्यु के बाद वह वसीयत वसीयत में उल्लेखित व्यक्ति के नाम हो जाती है लेकिन अगर पिता द्वारा वसीयत सम्बन्धी कागजी कार्य संपन्न नही है तो बेटा कानून की मदद से भी इसे हासिल कर सकता है।
लेकिन बसियत न बनाये जाने की स्थिति में भी कानून का एक नियम है जो यह तय करता है कि पिता की मृत्यु के बाद कानूनी वारिस कौन है जी हाँ यह नियम है क्लास 1 उत्तराधिकारी , जो कहता है कि पिता की संपत्ति का मालिकाना अधिकार बेटा, बेटी, माँ और पत्नी को एक सामान रूप से बिना भेद भाव के बराबर मिलना चाहिए।
अगर बेटा और बेटी नाबालिक हैं तो उनके 18 वर्ष के होने तक संपत्ति संचालन उनकी माँ द्वारा किया जाना चाहिए अगर इसे धर्म के अनुसार विभाजित किया जाता है है तो भी पिता की मृत्यु के बाद पिता की संपत्ति का अधिकार बेटे के सम्मान ही मिलता है यह अधिकार केवल पिता द्वारा अर्जित संपत्ति के लिए है।
एक पिता के मृत्यु के बाद उसकी चीज़ों का क्या होता है
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत अगर किसी पिता की मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति उसके परिवार वालों के बीच वितरित किए जाने का प्रावधान है कानून के मुताबिक इस फैसले में बेटा और बेटी का संपत्ति पर अधिकार एक सामान है लेकिन अगर पिता द्वारा तैयार वसीयत में यह स्पष्ट किया गया है कि वह वारिस किसे बनाना चाहता है और अपनी चीजे किसे और कितना देना चाहता है तो यह उसी तरह पालन किया जायेगा जैसा की वसीयतनामें में उल्लेखित है।
इसके विपरीत अगर पिता द्वारा वसीयत तैयार नहीं की गई है और किसी विशेष का नाम भी स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है तो चीजे कानून के मुताबिक तय नियमों का अनुसरण करेंगीं जिसमें या तो क्लास-1 उत्तराधिकारी के तौर पर या फिर हिन्दू धर्म के लिए बनाये गए अधिनियम को आधार मानकर संपत्ति का वितरण किया जायेगा।
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पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
पिता की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस कौन-कौन होते हैं?
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत अगर किसी पिता की मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति उसके परिवार वालों के बीच वितरित किए जाने का प्रावधान है कानून के मुताबिक इस फैसले में बेटा और बेटी का संपत्ति पर अधिकार एक सामान है।