पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है: जैसा कि दोस्तों हम सभी को पता है हर एक घर में परिवार का एक मुखिया होता है जो घर के सभी निर्णय लेता है और परिवार को संयोजित करके चलता है उस इंसान ने अपने जीवन काल में जो कुछ भी संपत्ति, घर, जमीन आदि अर्जित की होती है उसे उस व्यक्ति की “वसीयत” कहा जाता है।
कानूनी तौर पर पिता की संपत्ति उसके बेटे बेटी और पत्नी का अधिकार को प्राथमिकता दी जाती है लेकिन इन सबके बावजूद भी जब घर में संपत्ति का संपत्ति के वितरण करने की बात आती है तो अक्सर विवाद की स्थिति और कानूनी कार्रवाई जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं आज के इस लेख के जरिए हम आपको पिता की संपत्ति पिता की संपत्ति का वितरण कैसे किया जाता है और अगर कोई वेद वसीयत ना हो तो क्या हो होता है और कैसे उसे संपत्ति का वितरण किया जाए बहुत ही सरल भाषा में हम आपको बताने जा रहे हैं।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है?
देखिए कानूनी भाषा में अगर हम आपको बताएं तो जो व्यक्ति बिना वसीयत के गुजर बसर करता है उसे ‘निर्वसीयतकर्ता’ कहा जाता है कानूनी नियमों के अनुसार वसीयत पर प्राथमिक अधिकार क्लास-1 उत्तराधिकारी के तौर पर बेटे, बेटी, पत्नी और मां को दिया गया है यह विरासत उनके बीच एक समान रूप से बाँटे जाने का प्रावधान है अगर बेटा और बेटी की उम्र 18 वर्ष से कम हैं तो उनके वयस्क होने तक कानूनी रूप से उन्हें मिलने वाली संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार उनकी मां को दिया जाता है।
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भारतीय कानून के अनुसार जिस व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो गई हो या मरने से पहले वसीयत संबंधित कार्य न किए हो उसे स्थिति में संपत्ति का बंटवारा उनके धर्म के अनुसार कानूनी मापदंडों के भीतर रहकर किया जाता है उदाहरण के तौर पर हर धर्म के लिए संपत्ति वितरण संबंधी अलग-अलग कानून और परम्पराएं हैं जिसमें हिंदू धर्म की कानून को अत्यधिक संहिताबद्ध माना जाता है वहीं मुस्लिम धर्म हेतु भारत सरकार के खास प्रावधानों को ही संहिताबद्ध माना गया है।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है हिन्दू धर्म में
हिन्दू धर्म में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 उत्तराधिकार कानूनों को संहिताबद्ध करता है जिससे विरासत में मिली संपत्ति का वितरण आसानी से किया जा सकता है मुखिया के संपत्ति पर क्लास-1 उत्तराधिकारी जिसमें मां, बेटी, बेटा और पत्नी आते हैं के बीच समान रूप से वितरण शामिल होता है यह चीज उतनी जटिल नहीं है जितना कि लोगों ने इसे बना रखा है।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है मुस्लिम धर्म में
मुस्लिम धर्म में विरासत में मिली संपत्ति को वितरण करने हेतु मुस्लिम कानून का अनुसरण करना होता है जिसके मुताबिक मृत व्यक्ति की संपत्ति का 2/3 हिस्सा मुस्लिम विरासत कानून के मुताबिक परिवार को दिए जाने का प्रावधान है वहीं बाकी बचा 1/3 हिस्सा को वसीयतनामा विरासत के माध्यम से बाँटा जा सकता है।
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है अगर वसीयत न हो
अगर मरने वाले की कोई भी वसीयत नहीं है तो उसे व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को उसकी संपत्ति विरासत में मिलेगी अब क्योंकि वसीयत ना होने की स्थिति में संबंधित उत्तराधिकारियों को एक प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा जो की कानूनी रूप से उत्तराधिकारियों को संपत्ति लेने के लिए आवश्यक है। इस प्रमाण पत्र के लिए उसे जिले में स्थित सिविल न्यायालय में एक आवेदन उत्तराधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिसमें यह उल्लेखित हो कि जिस संपत्ति को वह प्राप्त करना चाहते हैं वह उस संपत्ति के मूल निवासी हैं।
आपके इतना करने के बाद अब अदालत की प्रक्रिया शुरू होगी वह सभी कानूनी अधिकारियों को यह सूचना देंगे और समाचार पत्र में एक विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। अदालत द्वारा उत्तराधिकारियों को प्रमाण पत्र जारी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस संपत्ति का आपके अलावा कोई अन्य उत्तराधिकारी नहीं है और इसके लिए अगर कोई आपत्ति जताता है तो उसे पर अदालत 4 से 6 सप्ताह तक विचार विमर्श करेगी।
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उत्तराधिकारी पक्ष यानी कि आपको न्यायालय में न्यायालय शुल्क संरचना के नियमानुसार पर्याप्त मात्रा में न्यायिक स्टांप पेपर्स जमा करने की जरूरत होगी, कोर्ट की फीस और स्टांप ड्यूटी उस राज्य के स्थानीय कानून पर निर्भर होगी, जिस राज्य और जिले में संपत्ति अवस्थित है ध्यान रहे कि आपको प्रशासनिक पत्र अनुदान हेतु आवेदन करना अनिवार्य है उसके पश्चात कानूनी अधिकारी प्रोबेट रजिस्ट्री में एक आवेदन प्रस्तुत करेंगे और उसके पश्चात ही संपत्ति का निपटान किया जाएगा।
‘प्रशासन का अनुदान’ मिलने पर आप होंगें संपत्ति के प्रशासक
आपके द्वारा ‘प्रशासन पत्र’ के लिए किया गया आवेदन न्यायालय को प्राप्त होगा, दरसल ‘प्रशासन पत्र’ एक ऐसा कानूनी प्रमाण पत्र होता है जो किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति के निपटान के लिए न्यायालय द्वारा उत्तराधिकारी आवेदन के पश्चात दिया जाता है अगर न्यायालय आपको प्रशासन का अनुदान देती है तो उसके पश्चात आप संपत्ति के प्रशासक हो जाएंगे अगर आसान शब्दों में कहें तो प्रशासन का अनुदान एक कानूनी दस्तावेज है जो मृत व्यक्ति की संपत्ति को संभालने हेतु उत्तराधिकारी को प्रशासक के तौर पर दिया जाता है।
घर और जमीन का उत्तराधिकारी बनने के लिए 90 दिनों के भीतर करें आवेदन
पिता की मृत्यु के बाद कानूनी रूप से घर और जमीन का उत्तराधिकारी बनने के लिए 90 दिनों के भीतर आवेदन किया जाना चाहिए इस स्थिति में क्लास वन उत्तराधिकारी नियम अनुसार जमीन को मां, बेटी, बेटा और पत्नी के बीच चार हिस्सों में विभाजित होना चाहिए। यह घर और भूमि उत्तराधिकारियों को विरासत के तौर पर मिलती है जिसमें बेटी भी बराबर की हिस्सेदार होती है अगर बेटी चाहे तो वह अपने हिस्से का घर या भूमि बेंच सकती है वशर्ते बाकी के तीन सदस्य इसके लिए राजी हो अगर चारों सदस्य सहमत होते हैं तो सहमति से बेचे गए घर या भूमि को बराबर चार हिस्सों में बांटा जाता है।
आज के इस लेख में हमने आपको आसान शब्दों में “पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है?” के बार में विस्तार से जानकारी दी है उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी इसी तरह के महत्वपूर्ण जानकारी पड़ने के लिए आप हमें सोशल मीडिया पर फॉलो और हमारी साइट Taaza Halchal को सब्सक्राइब कर सकते हैं, धन्यबाद!
पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन होता है?
क्लास-1 उत्तराधिकारी के तौर पर बेटे, बेटी, पत्नी और मां को दिया गया है यह विरासत उनके बीच एक समान रूप से बाँटे जाने का प्रावधान है अगर बेटा और बेटी की उम्र 18 वर्ष से कम हैं तो उनके वयस्क होने तक कानूनी रूप से उन्हें मिलने वाली संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार उनकी मां को दिया जाता है।
पिता की संपत्ति पर पहला अधिकार किसका होता है?
संपत्ति का अधिकार देश में रहने वाले सभी व्यक्तियों के पास सामान रूप से प्राप्त है पिता ही संपत्ति पर प्राथमिक अधिकार उसके परिवार में मौजूद पत्नी, बेटा, बेटी और माँ का होता है।
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